भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शिव जी हीरो बनोॅ हो-09 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:50, 1 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अच्युतानन्द चौधरी 'लाल' |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दादरा

भोला बाबा दुआर चलोॅ सावन में आय।।
होतै दुख सें उबार चलोॅ सावन में आय।।
धूप दीप संे गंगा जलोॅ सें
पुजबै त्रिपुरार चलोॅ सावन में आय।।
माथां बनरमां हाथे त्रिशूल
शिव महिमा अपार चलोॅ सावन में आय।।
अच्छत चन्दन सें फूल बेलपात से
करबै सिंगार चलोॅ सावन में आय।।
कलि-मल-हर शिव दुखी ॅलालोॅॅ के
करतै उद्धार चलोॅ सावन में आय।।

दादरा

दरसन लॅ केना के जइबै हे मैया तोरोॅ छौं सकरी दुअरिया।।
सकरी दुअरिया दूर नगरिया।। दरसन लॅ.।।
अच्छत चन्दन फूल बेलपतिया केना कॅ तोरा चढ़ैबै हे
मैया तोरोॅ छौं सकरी दुअरिया।।
धूप दीप अच्छत चन्दन सें केना कॅ तोरा रिझैबै हे।। मैया तोरोॅ.।।
गंगा जलोॅ से भरी कॅ गगरिया केना कॅ तोरा नभैभौं हे।। मैया.।।
तोरोॅ लाल मैया जन्म्है के दुखिया अमियो तॅ सुनि लॅ अरजिया हे।।मैया।।

कहहरा

राम लखन दोनों अइलै जे नगरिया
निहारॅ लागलै ना मिथिला के सांवर गोरिया।। निहारॅ.।।
एक तॅ छै गोरे गोरोॅ दोसरोॅ सांवरिया
जुड़ा वॅ लागलै ना देखी देखी दोनों भइया।। जुड़ावॅ.।।
पीठी पर तीर सोहे हाथें धनुहिया
लोभाव लगलै ना सखिहे मोहनी मुरतिया।।लोभावॅ.।।