भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शिव जी हीरो बनोॅ हो-11 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:50, 1 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अच्युतानन्द चौधरी 'लाल' |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

झूला-कहरवा

अइलै सावन के महिनमा मन भावनमा सखिया
राधा झुलै छै झुलावै छै मोहन रसिया।।
मोरवा नाचै छै झम झम बरसै छ बदरा सखिया
पपिहा पीउ कहाँ पुकारै छै कुहुकै छै कोइलिया।।
झम झम बरसैछै बादरवा
छम छम छम नाचैछै मोरवा
तजि कॅ लोक लाज दरबजवा
एैलोॅ छै सब नदी किनरवा
केकरहौ कुच्छू नै फिकिर छैजी सावन मंे सखिया
राधा झूलैछै झुलावैछै मोहन रसिया।।
गल्ला में फूलोॅ के हरवा
करि करि सोलहो सिंगरवा
माथा टिकुली नैन कजरबा
पिन्हलें साड़ी लाल अंचरवा
ग्वालिन भारैछै कटरवा हो मटकाय कॅ अंखिया
राधा झूलैछै झुलावैछै मोहन रसिया।।

झूला-ताल कहरवा

अरे रामा सावन के महिनमा झूला झूलैछै हरी।।
अरे रामा कदम के गछिया गोपियन के संगगगग झूलैछै हरी।।
राधा सं किसन मुरारी चनन हिंड़ोलवा चढ़ी
लपकि झपकि गलबहिंयाँ डाली झूलैछै हरी
गोरी गोरी राधा प्यारी श्यामल घन श्याम बिहारी
बिजली रंग चम चम राधा चमकैछै हरी
बिरज के बसिया रसिया गोपियन संग किसुन कन्हैया
लाज शरम सब छोड़ी रास रचावैछै हरी।।