भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शिव जी हीरो बनोॅ हो-53 / अच्युतानन्द चौधरी 'लाल'
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:10, 1 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अच्युतानन्द चौधरी 'लाल' |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
परछन
चलोॅ सखि परछैलेॅ दुलहा दुअरिया हे
देखोॅ आबेॅ लौटी केॅ जी अइलै बरतिया हे
कटि में पीताम्बर सोहे सिरें सोहे मौरिया हे
कमल नयन सखि मोहनी मुरतिया हे
श्याम घटा में दामिनी सम सखि
दम दम दमकये जनक दुलरिया हे
माथां मगटीका सोहे गल्लां गजमोतिया हे
सियाजी के तन सोहे लाली रे चुनरिया हे
घरे घर चौंक सखि आनन्द बधैया हे
बीया सें जी झलमल सगरी नगरिया हे।।
परछन
रामजी दुलहिन केॅ लेलें आबी गेलै दुआर
चलोॅ सखि सभ्भे परिछैले मिलीजुली केॅ जी
गोरी जनक दुलारी सिरी रामजी सांवरोॅ
देखोॅ देखोॅ सखि सब हे नजर भरी केॅ जी
सोहे बरोॅ के मुकुट सिया सोहबी केॅ सारी
चलोॅ परिछैलेॅ सब सखि हंसि हंसि केॅ जी
सिया रामजी सें ॅलालॅ के एतने अरज
बसोॅ मनोॅ में जी दुलहा दुलहिन बनी केॅ जी।।