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शेर-3 / अज़ीज़ लखनवी

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(1)
कफस1 में जी नहीं लगता है, आह फिर भी मेरा,
यह जानता हूँ कि तिनका भी आशियाँ में नहीं।
 
(2)
खुदा का काम है यूँ तो मरीजों को शिफा2 देना,
मुनासिब हो तो इक दिन हाथों से अपने दवा देना।

(3)
झूठे वादों पर थी अपनी जिन्दगी,
अब तो यह भी आसरा जाता रहा।

(4)
जवाब हजरते-3नासेह को हम भी कुछ देते
जो गुफ्तगू के तरीके से गुफ्तगू करते।

1.कफस - पिंजरा, कारागार। 2.शिफा - रोगमुक्ति 3. हजरत - किसी बड़े व्यक्ति के नाम से पहले सम्मानार्थ लगाया जाने वाला शब्द