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श्यामा प्यारी / ओम बधानी

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रणु सगोर करी श्यामा प्यारी,मन धीरज धरी ष्यामा प्यारी
मै राजि खुसी छौं यख देस म,तेरि खुद छ दगड़्या यै परदेस म
सुदि चेड़प न करी मेरि श्यामा प्यारी।

घास जैलि डांड्यौं म ढौंड बिट्टौंैं न चड़ी
रींग उठलि जिकुड़ि डरलि तेरि
उंचि डाळ्यौं न चड़ी, तेरि खुटि न जौ रड़ि
ढौंड बिट्टौंैं न जई मेरि श्यामा प्यारी।

चैमास आलड़ हेरि देखिक हिटी
रूड़्यौं छैल म रई,ह्यूंद ढक बुजी
बासी तेबासी न खै, कुपथ न कै
कुंगळि काया न दुखै मेरि श्ैयामा प्यारी।

गौं गळौं म कखी क्वी नौ न धरो
मिठ्ठू रखी व्यवहार,जु सभि बडै करो
दानौ कि सेवा म रई,रूंदा बाळौं हंसई
हिलि मिलिक रई मेरि श्यामा प्यारी।

टेलिफोन कि छ्ुईं, छुयौंमा जांदी
चिðी जिकुड़ि क धोर रांदी
मेरि चिðी कु जबाब चिðी म देई
खट्टी मिठ्ठी सब लई मेरि श्यामा प्यारी।