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संकल्प होंगे पूर्ण / उर्मिल सत्यभूषण

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मेरे पास केवल शब्द
शब्द, केवल शब्द
कोमल कान्त शिशुओं को
मैंने स्वयं अंगार कर डाला
नर्म नाजुक शब्द को
तलवार में ढाला
तर्क की तलवार लेकर
मैं चली प्रहार करने
रूढ़ियों की जंग लगी प्राचीर पर
शब्द के अंगार लेकर
मैं चली संहार करने
धातु निर्मित आयुधों का
सामना करने अणु-परमाणु बम का
मत हंसो मुझ पर
बौने मेरे अस्तित्व पर
और गगन चुम्बी चाह पर
संकल्प होंगे पूर्ण
मेरी शब्द शक्ति से
धज्जियां मेरी उड़ेंगी
अस्थियां मेरी चूर्ण होंगी
फिर भी रहूँगी मैं
वंशजों की चेतना में
ओज की अजस्र
धारा बन बहूँगी मैं
नई पीढ़ी की
हरित संवेदना में
संकल्प होंगे पूर्ण
यही फिर-फिर कहूँगी मैं।