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सपने की बात / रमेश तैलंग

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सुनो, सुनो सपने की बात!
मैंने देखा ,
मेरे मुँह पर लम्बी-सी दाढ़ी उग आयी,
दादा जी के मुँह में निकले
दो छोटे दुद्धू के दाँत।

मैंने देखा, स्कूलों में
छुट्टी ही छुट्टी है हर दिन,
पहली बार हुआ जब
हफ़्ते में आये हैं संडे सात।

मैंने देखा,
सरकारी आदेश हुआ है,
अब से बूढ़े-बड़े सभी
मानेंगे बस बच्चों की बात।
सुनो, सुनो सपने की बात!