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सभी पेश आते इज्जत से / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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बंदर मामा पहन पाजामा,
अब न जाते हैं स्कूल।
करते रहे अब तलक थे वे,
यूं ही व्यर्थ भूल पर भूल।

खिसका कभी कमर से था तो,
कभी फटा नादानी में।
फटे पजामे के कारण ही,
मिली आबरू पानी में।

फटे पाजामा के कारण ही,
हंसी हुई थी शाळा में।
हुई बंदरिया से गुस्ताखी,
इस कारण वरमाला में।

अब तो मामा जींस पहनकर,
टाई लगाकर जाते हैं।
जींस बहुत मजबूत जानकर,
इतराते मस्ताते हैं।

तोड़ दिया सम्बन्ध आजकल,
पूरी तरह पाजामा से।
सभी पेश इज्जत से आते,
अब तो बन्दर मामा से।