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समुद्र नहीं है नदी-2 / राकेश रोहित

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बचे हुए लोग
किससे पूछेंगे अपना पता !
शायद नदी से
जो तब किसी उदास समुद्र की तरह
भारी जहाज़ों के मलबे तले
बहती रहेगी ख़ामोश ।

शायद तब वे पाएँगे
कोई समुद्र अपने पास
जो दूर, बहुत दूर, दूर है अभी
जिसे कभी देखा होगा पिता ने पास से ।
कितना भयानक होगा
उस समुद्र का याद आना
जब पिता पास नहीं होंगे
किसी नदी की तरह ।

शायद वे ढूँढ़ेंगे नदी
किसी पहाड़, किसी झरने
किसी अमूर्त कला में
पर कठिन होगा
ढूँढ़ पाना अपना पता
जब पास नहीं होगी
कोई कविता यह कहती हुई
समुद्र नहीं है नदी,
समुद्र नहीं है नदी ।