भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सही समय / संतोष अलेक्स

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:42, 30 मई 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संतोष अलेक्स |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} <Poem> म...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मनुष्य मनुष्य
मनुष्य व कविता
मनुष्य व आलोचकों के बीच के फर्क
को समझा तो
उन लोगों ने मुझ पर वार किया

ऊँचा व नाटा
गोरा व साँवला
खामोशी व आवाज के बीच के फर्क
को समझा तो
उन लोगों ने मुझ पर फिर वार किया

वार करने का सही समय
फर्क जानने पर होता है।