भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सांस / सांवर दइया

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:53, 27 नवम्बर 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अठीनै
चितराम बण बैठिया है
मिनख
   लुगाई
   टाबर
पण लेवै सांस !

बठीनै
परदै माथै
बोलै-बतळावै
    नाचै-गावै
उछ्ळै-कूदै चितराम
पण लेवै कोनी सांस !