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साईं, बैर न कीजिए / गिरिधर

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साईं, बैर न कीजिए, गुरु, पंडित, कवि, यार ।

बेटा, बनिता, पँवरिया, यज्ञ–करावनहार ॥

यज्ञ–करावनहार, राजमंत्री जो होई ।

विप्र, पड़ोसी, वैद्य, आपकी तपै रसोई ॥

कह गिरिधर कविराय, जुगन ते यह चलि आई,

इअन तेरह सों तरह दिये बनि आवे साईं ॥