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साक़िया आ शराब-ए-नाब कहाँ / क़ुली 'क़ुतुब' शाह
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साक़िया आ शराब-ए-नाब कहाँ
चंद के प्याले में आफ़ताब कहाँ
आशिक़ाँ मँगते हैं सिमा करन
चंद गाने कहाँ रूबाब कहाँ
सोक देखो कते हैं साजन कों
वले मेरे नयन कों ख़्वाब कहाँ
नींद की ख़ुमारी नयनाँ में
ऊ कँवल मुख धोवें गुलाब कहाँ