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सारा दिन अरूलाई बाँडेँ / ईश्वरवल्लभ

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सारा दिन अरूलाई बाँडें, शायद ती रात मेरा
मेरा सुखहरू अरूको, शायद यी आँशु मेरा

बिर्सेर कहिलेकाहीँ दुई चार चोटी हाँसेँ
काँढाहरूलाई नाघी फूललाई म्वाई खाएँ
शायद ती गल्ती मेरा शायद ती काँढा मेरा
मेरा सुखहरू अरूको, शायद यी आँशु मेरा

फूलको सुगन्ध पाउँदा कहीँ सुखको सास फेरेँ
डुबिरहेको बेला पराल समाई हेरेँ
शायद किनारा अरूको गहराई शायद मेरा
मेरा सुखहरू अरुको, शायद यी आँशु मेरा