भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सितम-कश मस्लहत से हूँ कि ख़ूबाँ तुझ पे आशिक़ हैं / ग़ालिब

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:48, 19 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ग़ालिब |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poe...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सितम-कश मस्लहत से हूँ कि ख़ूबाँ तुझ पे आशिक़ हैं
तकल्लुफ़ बरतरफ़ मिल जाएगा तुझ सा रक़ीब आख़िर