भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सीने में उन के जलवे छुपाये हुये तो हैं / मजाज़ लखनवी

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:45, 7 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मजाज़ लखनवी }} Category:ग़ज़ल <poem>सीने में उन के जलवे ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सीने में उन के जलवे छुपाये हुये तो हैं|
हम अपने दिल को तूर बनाये हुये तो हैं|

[तूर=पहाड]

तासीर-ए-जज़्ब-ए-शौक़ दिखाये हुये तो हैं,
हम तेरा हर हिजाब उठाये हुये तो हैं|

[तासीर=नतीज़ा; जज़्बा=अहसास; हिजाब=परदा]

हाँ वो क्या हुआ वो हौसला-ए-दीद अहल-ए-दिल,
देखो न वो नक़ाब उठाये हुये तो हैं|

[हौसला-ए-दीद=देखने की हिम्मत]

तेरे गुनाहाअर गुनाहगार ही सही,
तेरे करम की आस लगाये हुये तो हैं|

अल्लाह रे क़ामयाबी-ए-आवारगान-ए-इश्क़,
ख़ुद गुम हुये तो क्या उसे पाये हुये तो हैं|

ये तुझ को इख़्तियार है तासीर दे न दे,
दस्त-ए-दुआ हम आज उठाये हुये तो हैं|

[इख़्तियार=cओन्त्रोल; तासीर=नतीज़ा; दस्त-ए-दुआ=प्रार्थना में हाथ उठाना]

मिटते हुओं को देख के क्यों रो न दें 'मज़ाज़',
आख़िर किसी के हम भी मिटाये हुये तो हैं|