भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सीमा / सुशान्त सुप्रिय

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:32, 5 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुशान्त सुप्रिय |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं सीमा पर खड़ा था
मेरे साथ मेरा बेटा भी खड़ा था
मैंने कहा: बेटा, यह दोनों देशों की सीमा है
बेटे ने पूछा: पापा , सीमा कहाँ है?
मैंने कहा: बेटा, यही तो सीमा है
बेटा बोला: वह मुझे दिखाई क्यों नहीं देती?
जितना मैं बेटे को सीमा दिखाना चाहता
उतनी ही सीमा उसे नहीं दिखाई देती

तब जा कर मैं समझ पाया--
जो सीमा बाहर से ज़्यादा
हमारे दिलों में है
वह इस मासूम बच्चे को
कैसे दिखाई देगी