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सुकरात को याद करते हुए / बाबुषा कोहली

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जिस दिन
वो दुनियावी ऐनक
टूट गई थी

तुम सब ने मिलकर
मेरी आँखें फोड़ दी थीं

बस !
उस दिन से ही भीतर
एक ढिबरी जलती है ।