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सुख नींदरा म क्यो सोयो मुसाफीर / निमाड़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

    सुख नींदरा म क्यो सोयो मुसाफीर

(१) पंथी रे उबा पथ के उपर,
    तेरा साथी कोई ना ही
    गठरी बांदी सीर पर धरी
    कर चलने की सुध...
    मुसाफीर...

(२) वाट-वाट बंद रे मोहरीयाँ,
    हरिया देख मती भुल
    चलने की तु कर ले तईयारी
    रहने की सब झुट...
    मुसाफीर...

(३) माता पिता सुत बन्धु जना रे,
    पनघट की ये नारी
    सब मिलकर ये छोड़ जायेगे
    सपना के दिन चार...
    मुसाफीर...

(४) कहेत कबीरा सुणो भाई साधु,
    सुमरो श्रीजन हारा
    राम नाम बिना मुक्ती नी होयगा
    बहुत पड़ेगा मार...
    मुसाफीर...___