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सोन्ना रूपा का घड़ा घड़ीला / निमाड़ी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सोन्ना रूपा का घड़ा घड़ीला,
रेशम लम्बी डोर हो, झालरियो।।
रनुबाई गंगा भरिया, जमुना भरिया,
जाय कवेरी झकोळ हों, झालरियो।।
बेटी म्हारी, पहिलाज आणऽ ससराजी आया,
काळो घोड़ो लाया हो, झालरियो।।
पिताजी अबको आणो पछो फिरई देवो,
हम खेली लेवां फूल नऽ पाती हो, झालरियो।।
बेटी म्हारी, दूसराज आणो जेठजी आया,
धौळो घोड़ो लाया हो, झालरियो।।
पिताजी अबको आणो पछो फिरई देवो,
हम खेली लेवां फूल नऽ पाती हो, झालरियो।।
बेटी म्हारी, तीसराज आणो देवरजी आया,
छैल बछेरी लाया हो, झालरियो।।
पिताजी अबकी आणो पछो फिरई देवो,
हम खेली लेवां फूल नऽ पाती हो, झालरियो।।
बेटी म्हारी, चवथाज आणो धणियेरजी आया,
हँसलो घोड़ो लाया हो, झालरियो।।
पिताजी अबको आणो पछो फिरई देवो,
हम खेली लेवां फूल नऽ पाती हो, झालरियो।।
बेटा म्हारी, ससरो भी फिरी गयो, जेठ भी फिर गयो,
देवर भी फिरी गयो।
हाड़ा राव को कुँवर कन्हैयो।।
ओ नी पाछऽ फिरऽ हो, झालरियो।।
पिताजी जळ जमुना को काळो पाणी,
देखी नऽ डर लागऽ हो, झालरियो।।
बेटी म्हारी, नाव लगावसे, डोंग्या चलावसे,
पार उतारी लई जासे हो, झालरियो।।
पिताजी चैत-बैसाख की घाम पड़ऽ नऽ,
म्हारी कड़ी को बाळो कोम्हलासे हो, झालरियो।।
बेटी म्हारी छतरी लगावसे, तम्बू तणावसे,
छावळऽ छावलऽ लई जासे हो, झालरियो।।