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स्वागत सरद के / रामवचन शास्त्री अंजोर

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धरती क बिहसे अँगनबाँ, सयान भइले अल्हरे सपनवाँ।
घोड़वा चढ़ल अगहनवाँ, सयान भइले अल्हरे सपनवाँ॥
सेनवाँ के हार पहिरावेले किरिनिया,
मोतिया से खोंइछा भरावेले रयनिया।
सगुन उचारेला सुगनवा, सयान भइले अल्हरे सपनवाँ॥
केसिया सँवारि देले उजरी बदरिया,
नथिया गढ़ावेले सुधरकी मछरिया।
गंगिया बढ़ाबेली कंगनवाँ, सयान भइले अल्हरे सपनवाँ॥
बान्हेले अँजोरिया चानी के करधनियाँ,
बिजुली टीकेले भाँगि, थिरके चननियाँ।
चनवाँ देखावे दरपनबाँ, सयान भइले अल्हरे सपनवाँ॥
अनघा असीसे बनवाँ के तरु तपसी,
धानी रंग लहँगा थम्हावेऽ बनसपती।
डोलिया चढ़ावेला गगनवाँ, सयान भइले अल्हरे सपनवाँ॥
रहिया चीन्हाइ भेटे तिलिया-रहहिया,
घुंघटा उठाइ मिले बजड़ा-जोन्हरिया।
धनबाँ क झूमेला परनवाँ, सयान भइले अल्हरे सपनवाँ॥
सुख में नहाई गइलि गंउआँ-नगरिया,
बान्हि देली सभके पिरीत के रसरिया।
नाचेला सिवनवाँ-भवनवाँ, सयान भइले अल्हरे सपनवाँ॥