भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हटिया जैबै / अंजनी कुमार सुमन

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:37, 11 जून 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अंजनी कुमार सुमन |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जैबै साँझे हटिया पर
चच्चा के फटफटिया पर
बिस्कुट निमचुस खूब किनैबै
नै मानब खटखटिया पर।
जैबै साँझे हटिया पर।
चच्चा के फटफटिया पर

रंग-बिरंगा फुकना लेबै
ऊन के बनलाँ सुगना लेबै
फटफटिये पर बैठल रहबै
गोर नै धरबै मटिया पर।
जैबे साँझे हटिया पर
चच्चा के फटफटिया पर।

करका-करका चश्मा लेबै
हमहुँ आपनोॅ शान देखैबै
कल्हे सें मईया रखने छै
नवका अंगा खटिया पर।
जैबै साँझे हटिया पर
चच्चा के फटफटिया पर।