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हम चाहैं तुम्हैं सो भले ही कहैं / रमादेवी

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हम चाहैं तुम्हैं सो भले ही कहैं हम पै तुम्हरो इतबार नहीं।
तुम आग से खेलत हो दिल पै हमरे कहीं दाग़ दरार नहीं॥
हम होत निसा नित आवत है तुम्हरे मिलने को करार नहीं।
सच प्रेम को पंथ कराल बड़ा सुनो, खाना कहीं तुम हार नहीं॥