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हम नहि जानल गे माइ / मैथिली लोकगीत
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मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हम नहि जानल गे माइ
एहन बर नारद जोहि लौता, देखितहि सब पड़ाइ
तीन लोक के मालिक कहि-कहि हमरा देल पतिआइ
अन्तिम पलमे भिखमंगा के लायल बर बनाइ
एकदिस गौरी केर मुह तकै छी, दोसर बूढ़ जमाइ
ई देखिते मनमे होइत अछि, मरितहुँ जहर-विष खाइ
हम नहि जानल गे माइ