भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमर विनय श्री रामचन्द्र जी सँ कनी कहबनि यो हनुमान / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:28, 30 जून 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह=देवी...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हमर विनय श्री रामचन्द्र जी सँ कनी कहबनि यो हनुमान
लछुमन दोख कियौ नहि देबनि, रावण हरलक ज्ञान
कनी कहबनि यो हनुमान
जँ एहि वन मे रावण आओत, तेजब हम परान
कनी कहबनि यो हनुमान
रावणक त्रास बहुत तड़पौलक, थर-थर काँपय प्राण
कनी कहबनि यो हनुमान
हमर विनय श्री रामचन्द्रजी सँ, कनी कहबनि यो हनुमान