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हर चीज़ का खोना भी बड़ी दौलत है / अमजद हैदराबादी

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हर चीज़ का खोना भी बड़ी दौलत है।

बेफ़िकरी से सोना भी बड़ी दौलत है॥

इफ़लास ने सख़्त-मौत आसाँ कर दी।

दौलत का न होना भी बड़ी दौलत है॥


साँचे में अजल के हर घडी़ ढलती है।

हर वक़्त यह शमए-ज़िन्दगी जलती है॥

आती-जाती है साँस अन्दर-बाहर।

या उम्र के हलक़ पर छुरी चलती है॥


हासिल न किया महर से ज़र्रा तुमने।

दरिया से पिया न एक क़तरा तुमने॥

‘अमजद’ साहब! ख़ुदा को क्या समझोगे?

अब तक ख़ुद ही को जब न समझा तुमने॥