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हवा बन कर तुम्हारी खुशबू को फैला दिया हमने / ओम प्रकाश नदीम

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हवा बन कर तुम्हारी ख़ुशबू को फैला दिया हमने
ज़रा सोचो कहाँ थे तुम कहाँ पहुँचा दिया हमने

भले ही जल के हमको राख हो जाना पड़ा लेकिन
तुम्हारे प्यार को उस राख से चमका दिया हमने

हमारे झूट को भी सच समझ कर मुतमइन है वो
बहुत हैरान हैं हम वाह क्या समझा दिया हमने

किसी के दर्द की आवाज़ सुन कर चीख़ कर रोए
अचानक अपने ही एहसास को चौंका दिया हमने

न हमसे जब सुलझ पाया तो फिर सुलझे तरीक़े से
उस उलझे मसअले को और भी उलझा दिया हमने