भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाइकु / ज्ञानेन्द्रपति

Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:12, 4 फ़रवरी 2018 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(1)
देवता हुए
सामंत सहायक
राजतंत्र में
(2)
मिटता नहीं
सिरजा जाता जिसे
एक बार
(3)
गाते न दिखा
सुना गया हमेशा
काला झींगुर
(4)
नाम दुलारी
दुखों की दुलारी है
जमादारिन
(5)
पनही नहीं
पाँव में, गले में
पगहा है भारी
(6)
मेघ बोझिल
मन भर मौसम
छूटा अकेला