Last modified on 13 अगस्त 2018, at 12:17

हुस्न से दिल लगा के देख लिया / रतन पंडोरवी

Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:17, 13 अगस्त 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रतन पंडोरवी |अनुवादक= |संग्रह=हुस...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 हुस्न से दिल लगा के देख लिया
इश्क़ को आज़मा के देख लिया

कोई साथी नहीं मुसीबत में
मौत को भी बुला के देख लिया

मेरा जीना भी कोई जीना है
जिस ने चाहा मिटा के देख लिया

दहर बेगानए-महब्बत है
सब को अपना बना के देख लिया

यक-ब-यक तिलमिला उठा है दिल
किस ने पर्दा उठा के देख लिया

बढ़ गई और बे रुखी उन की
क़िस्सए-ग़म सुना के देख लिया

मुतमइन ऐ 'रतन' जबीं न हुई
हर जगह सर झुका के देख़ लिया।