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हृदय का मूल्य / रामेश्वरलाल खंडेलवाल 'तरुण'

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एक चूड़ी टूटती-तो हाय, हो जाता अमंगल!
मेघ में बिजली कड़कती-काँपता सम्पूर्ण जंगल!
भाग्य के लेखे लगाते-एक तारा टूटता तो!
अपशकुन-शृंगारिणी के हाथ शीशा छूटता तो!
दीप की चिमनी चटकती-चट तिमिर का भय सताता!
कौन सुनता स्फोट? पर, कोई हृदय यदि टूट जाता!