भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हेरा गइले बदरी में चनवां / भोजपुरी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:39, 21 सितम्बर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हेरा गइले बदरी में चनवां<ref>चाँद</ref> रे गुइयां चैत महीनवां ।

पागल पवनवां सुमनवा बटोरे,
नरमी चमेलियन के बंहियां मरोड़े
पांख झारि नाचेला मोरवा रे गुइयां चैत महीनवां ।

कोइली के बोली मोरा जियरा जरावे,
घर-आंगन मोहे तनिको ना भावे
देवरा पापी निरखे जोबनवां रे गुइयां, चैत महीनवां ।

शब्दार्थ
<references/>