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है कौन-सा रास्ता / विजय गौड़

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बन्दूक की नाल को
किसी भ्रष्ट अर्थशास्त्री
के सिर पर तानो
या, रुपयों के बदले
फ़ैसला सुनाते
किसी न्यायाधीश की
पसली में घुसा दो चापड़
 
मात्र एक नोट की ख़ातिर
चलती हुई लाईन पर
बिजली के खम्भे पर टंगे
किसी लाईनमैन के
चूतड़ों के नीचे लगा दो आग
 
या, ऐसे ही
किसी चौराहे पर
ट्रैफिक नियमों के ख़ैर-ख़्वाह से
करो सीधे मुठभेड़
 
तब भी क्या कर पाओगे दुरस्त
इस सड़ी गली व्यवस्था को ?