भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
होठ फेर खुलैला / सांवर दइया
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:44, 22 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सांवर दइया |संग्रह=मन-गत / सांवर दइया }} [[Category:मूल र…)
च्यारूं कूंट पसरियोड़ी है आज
अटूट-अखूट मून
पण
थे आ ना समझ्या
कै लोग बोलणो भूलग्या है
ऐ होठ फेर खुलैला
अर फेर सरू हुवैला
ठावी बंतळ !