भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

होरी खेलन आयो स्याम / ब्रजभाषा

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:24, 27 नवम्बर 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

होरी खेलन आयो श्याम, आज याए रंग में बोरो री
आज याए रंग में बोरो री, आज याए रंग में बोरो री
याकी हरे बाँस की बाँसुरिया, याए तोरि मरोरो री...

होरी खेलन आयो श्याम...