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होली / प्रदीप प्रभात

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होली एैलै, होली एैलै,
बच्चा-बुतरू के टोली एैलै।
हिन्दुआरो मुसलिम भाय,
सिख आरो इसाई भाय।
सब पर ढारोॅ रंग प्यार के
फूल जेना एक वागिया के।
सब भेदभाव मेटाय केॅ
गल्ला लगाबोॅ भाय बनाय केॅ।
ढारोॅ रंग प्रेम-भाव के,
खुन नै बहेॅ इन्सान के।
शान्ति आरो सद्भाव के
बॉटोॅ नै वेद आरोॅ कुरान केॅ।
होली एैलै होली एैलै,
भाय-बहिन रोॅ टोली एैलै।
प्रेम-प्यार रोॅ बौछार एैलै,
दोस्ती रोॅ सौंगात एैलै।
हाथोॅ मेॅ सब्भै केॅ रंग,
हरा, पीला, गुलाबी रंग।
सगरोॅ छै प्रेम-प्यारोॅ रंग,
बसंती, सुगापंखी, गुलाबी रंग।
हास्य-व्यंग्य रोॅ हँसी बढ़ै
चुटकुला रोॅ फूलझड़ी झड़ै।