भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ॿुधो - हीउ सचु निजो सरकारी आ / एम. कमल

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:13, 6 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एम. कमल |अनुवादक= |संग्रह=बाहि जा व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ॿुधो - हीउ सचु निजो सरकारी आ।
सॼे चमन में बहार आई आ॥

निमाणा लुड़िक ॾिसी वाघुनि जा।
ॿघनि जे ढोंग खे लॼ आई आ॥

लखनि जा ख़्वाब था रुपए में मिलनि।
अञा चओ था महांगाई आ!!

खिंवणि त दिलि सां खॼे थी, बरसात।
हिते वसण खां ई शरमाई आ॥