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अंतिम कार्यवाही / नीलोत्पल

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जंगल में हवा बिना बताएं
गुम हो जाती हैं

एक तितली जिसने पंख नहीं झटके
सुबह की प्रतीक्षा में है

कोयले जंगल के गर्भ में
पत्तियों की सांसे हैं
धूप में ठहरी मचलती तितलियां

नदी से थोड़ा नज़दीक
टहनियों के झुरमुट में
गश्त जारी है बया की

कुतरी पत्तियां अधूरी तस्वीर है
रोज डण्ठलों पर ख़ालीपन आवाज़ लगाता है
गिरता सच कितना बेआवाज़ है कि
कुछ दिनों तक जंगल चुपचाप गुज़र जाता है
हमारे घरों से

रात पारदर्शी परदा गिराती है
सभी निमिलित जड़ों पर
देखते-देखते छोटे हिरण अदृश्य होने लगते हैं

पूरी रात कीड़ों का शोर
महादृश्य का विलाप करता है

रात प्रेम के निशान छोड़ जाती है
स्निग्ध रोशनियों पर

धातु और लपटें
जंगल की अंतिम कार्यवाही है