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अच्छे दिन / गोविन्द माथुर
Kavita Kosh से
अच्छे दिन भी
आएँगे कभी
सोचते-सोचते
गुज़र गए
कई दिन, माह, वर्ष
ज्यों-ज्यों गुज़रते गए दिन
आने वाले दिन
गुज़रे हुए दिनों से भी
ज़्यादा बुरे दिन लगने कगे
ज्यों-ज्यों गुज़रते गए
गुज़रे हुए बुरे दिन
अच्छे दिन लगने लगे ।