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आप कहते हैं चलो दरबार की बातें करें / कृपाशंकर श्रीवास्तव 'विश्वास'

आप कहते हैं चलो दरबार की बातें करें
दिल ये कहता है गगन के पर की बातें करें।

मुल्क को मजबूत करने के लिए होगा उचित
फ़र्ज़ पहले, बाद में अधिकार की बातें करें।

आने वाली पीढ़ियां गुमराह फिर होंगी नहीं
उन से अपनी सभ्यता संस्कार की बातें करें।

गांव कैसे हो सुखी आओ चलें चौपाल तक
खाद, पानी, खेत, घर , दीवार की बातें करें।

कर न पाए जो पड़ोसी बेटियों की शादियां
एक दिन मिल बैठ उस लाचार की बातें करें।

खुदकुशी दस काश्तकारों ने किया, सुनकर कहो
कैसे हम पाजेब की झनकार की बातें करें।

फ़र्ज़ है 'विश्वास' सबका वक़्त की आवाज़ है
पहले 'बेघर' हो रहे परिवार की बातें करें।