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इक रूप नया आप में पाती हूँ सखी / जाँ निसार अख़्तर

इक रूप नया आप में पाती हूँ सखी
अपने को बदलती नज़र आती हूँ सखी

ख़ुद मुझको मेरे हाथ हसीं लगते हैं
बच्चे का जो पालना हिलाती हूँ सखी