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इच्छा / सुधीर सक्सेना
Kavita Kosh से
हम उन्हें नहीं
वे धरती हैं हमें
इच्छाओं से जनमते हैं हम
हमसे जनमती हैं इच्छाएँ
इच्छाएँ कभी नहीं मरतीं
अपनी इच्छा से
फ़क़त रंग और रूप बदलती हैं
इच्छाएँ