पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
एक-एक घुँघरू ओना चन्दू का पाय मऽ
एक-एक घुँघरू ओना चन्दू का पाय मऽ
रमकत-झमकत पनिया ख जाय रे
घघरी जो फूटी साले कुँवन का माझ मऽ
घनघड़ी जो अटकी साले मूछ हन का बाल मऽ
ठिनकत-ठिनकत बहिनी कोरा जाओ रे।
एक-एक घुँघरू ओना चन्दू का पाय मऽ
एक-एक घुँघरू ओना चन्दू का पाय मऽ
रमकत-झमकत पनिया ख जाय रे
घघरी जो फूटी साले कुँवन का माझ मऽ
घनघड़ी जो अटकी साले मूछ हन का बाल मऽ
ठिनकत-ठिनकत बहिनी कोरा जाओ रे।