ओउम् / लाखन सिंह भदौरिया
महर्षि तुम जहान को महान दान दे गये।
जब कि पोप पन्थ ने, समस्त विश्व घेर कर,
विनाश व्यूह था रचा, स्वशक्ति सब बटोर कर,
तभी स्वधर्म रक्षिता, नयी कृपाण दे गये।
महर्षि तुम जहान को महान दे गये।
पछाड़ पोप पन्थ को, उखाड़ ढोंग को दिया,
उजाड़ अन्ध ज्ञान को, उबार धर्म को लिया,
विलीन वेद-ज्ञान को, नवीन प्राण दे गये।
महर्षि तुम जहान को महान दे गये।
‘सत्यार्थ’ के प्रकाश से नया प्रकाश कर गये,
तमिश्र विश्व में अपार ज्योति राशि भर गये,
अनादि ज्योति का प्रदीप, दीप्तमान दे गये।
महर्षि तुम जहान को महान दे गये।
मृतः प्राय राष्ट्र को, ऋषे! तुम्हीं जिला गये,
स्वयं विषम गरल पिया, हमें सुधा पिला गये,
मनुष्य मात्र के लिए अमूल्य प्राण दे गये।
महर्षि तुम जहान को महान दे गये।
स्वधर्म मूल्य आँक कर, ऋषे! तुम्हीं बता गये,
स्वराज्य का सुमंत्र नव, तुम्हीं प्रथम सिखा गये,
जगा स्वदेश जाति को नया विहान दे गये।
महर्षि तुम जहान को महान दे गये।