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कइसे जाईं ससुरारी / महेन्द्र मिश्र
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कइसे जाईं ससुरारी।
खेलत मैं रहनी हो सिपुली मउनिया से आई गइले गवना के नियारी हो/कइसे।
बाबा घरे रहितें मोरा भइया घरे रहितें त फेरी दीते डोलिया कहाँरी हो/कइसे।
काँचहीं बाँसवा के डोलिया बनवलें से लागी गइलें चारि गो कहाँरी हो/कइसे।
नाहीं मोरा लूर ढंग एकहू रहनवाँ पिया हमसे करिहें पुछारी हो/कइसे।
मिली जुली लेहु सभ सखिया सलेहरी से छूटी गइलें बाबा के दुआरी हो/कइसे।
कहत महेन्दर कुछ नीको ना लागे से खुलि गइलें कपट कँवारी हो/कइसे।