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कितना मजा आए / उषा यादव

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कितना मजा आए
यदि हम भी
शटल यान पा जाएँ।
अंतरिक्ष पर जाकर अपनी
दुनिया एक बसाएँ।
धमा-चौकड़ी,
कूड़ा-फाँदी,
वहाँ मौज-मस्ती हो।
चाकलेट पेड़ों से तोड़े
आइसक्रीम सस्ती हो।

कितना मजा आए
जब मम्मी-पापा
ढूँढ़ न पाएँ।
होमवर्क की चिंता से भी
हम बच्चे बच जाएँ।

सारे दोस्त
वहाँ पर मिलकर
छेड़े नया तराना।
घर के लिए रोएगा छोटू
इसको मत ले जाना।