ख़ुद हिल के वो क्या मजाल पानी पी लें
हर रात बँधा हुआ है ये ही दस्तूर
सिरहाने भी चाहे भर के छागल रख दूँ
सोते से मगर मुझे जगायेंगे ज़रूर
ख़ुद हिल के वो क्या मजाल पानी पी लें
हर रात बँधा हुआ है ये ही दस्तूर
सिरहाने भी चाहे भर के छागल रख दूँ
सोते से मगर मुझे जगायेंगे ज़रूर