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गन्ध / बुद्धिलाल पाल
Kavita Kosh से
आकाश को
जब होती
प्रसव-वेदना
लुढ़क कर
आ जाता है
ज़मीन पर
कुछ फूलों को
जन्म देता है
आकाश
हो जाता है
हल्का
कुछ समय
के लिए
आकाश तो आकाश होता है
पहुँच से बाहर
आकाश में फूलों का होना
नहीं रखता है
कोई मायने
ख़ुशबू बिखरने के लिए
चाहिए
मिट्टी-हवा-पानी
तब एक सोंधी गन्ध
अनुभव की जा सकती है
फूलों की