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ग़म का फ़साना बन गया अच्छा / आनंद बख़्शी

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ग़म का फ़साना बन गया अच्छा
एक बहाना बन गया अच्छा
सरकार ने आके मेरा हाल तो पूछा
ग़म का...

तुम्हारे ख़यालों में खो जायें
ये जी चाहता है की सो जायें
देखो बातों-बातों में चाँदनी रातों में
ख़्वाब सुहाना बन गया अच्छा...

बतायें तुम्हें क्या कहाँ दर्द है
यहाँ हाथ रखना यहाँ दर्द है
देखो बातों बातों में दो ही मुलाकातों में
दिल ये निशाना बन गया अच्छा...

मुहब्बत की रंगीन महफ़िल में
जगह मिल गई आपके दिल में
देखो बातों-बातों में प्यार की बरातों में
अपना ठिकाना बन गया अच्छा...