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गाँव की बात / बोधिसत्व
Kavita Kosh से
वह बहुत पुरानी एक रात
जिसमें सम्भव हर एक बात,
जिसमें अंधड़ में छुपी वात,
सोई चूल्हे में जली रात,
वह बहुत पुरानी बिकट रात ।
जिसमें हाथों के पास हाथ,
जिसमें माथे को छुए माथ,
जिसमें सोया वह वृद्ध ग्राम,
महुआ,बरगद,पीपल व आम,
इक्का-दुक्का जलते चिराग
पत्तल पर परसे भोग-भाग ।
वह बहुत पुरानी एक बात,
जिसमें धरती को नवा माथ,
वो बीज बो रहे चपल हाथ,
वो रस्ते जिन पर एक साथ
जाता था दिन आती थी रात
वह बहुत पुरानी एक रात ।