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गीत देशोॅ के / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
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गैबेॅ हम्में, गैबेॅ हम्में
गीत देशोॅ के गैबेॅ हम्में,
भारत माता के सेवा में
आगू क़दम बढ़ैवेॅ हम्में।
बुतरू हमरा जानी केॅ
छोटोॅ बच्चा मानी केॅ,
के रोकतै देखवै ओकरा
हमरा वेग तूफानी केॅ।
नया-नया निर्माणोॅ लेली
शिक्षा के अलख जगैवेॅ हम्में,
गीत देशोॅ के गैवै हम्में।
हमरा सामना जे भी अइतै
हमरा सें जे भी टकरैतै,
पर्वत पत्थर ऊ जे भी हुअेॅ
टूटी फूटी केॅ बिखरी जैतै।
बुद्धि-बल-साहस छै हमरा
दुश्मन केॅ धूल चटैवेॅ हम्में,
गैवेॅ हम्में, गैबेॅ हम्में, बढ़ैवे हम्में।
राणा प्रताप के धरती ई छेकै
वीर शिवा के शक्ति ई छेकै,
दुश्मन से देश बचावै लेली
हाथोॅ में हमरा ई तेगा छेकै।
इंच-इंच धरती रोॅ खातिर
मौतोॅ के गला लगैवेॅ हम्में,
गैबेॅ हम्में, गैबेॅ हम्में।